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बाइबल पढ़ें : २ तीमुथियुस

बाइबल पढ़ें : 2 तीमुथियुस - पृष्ठ 1
२ तीमुथियुस: परिचय

२ तीमुथियुस की पत्री, पौलुस ने अपने युवा साथी और सहायक तीमुथियुस को व्यक्‍तिगत सलाह के रूप में लिखी। इसका मुख्य विषय धीरता है। पौलुस तीमुथियुस को प्रोत्साहित करता है कि वह विरोध और सताव के बीच भी विश्‍वासयोग्यता के साथ मसीह की गवाही देता रहे। वह उसे सुसमाचार और पुरानी-नियम की सच्ची शिक्षाओं पर दृढ़ बने रहने की सलाह देता है और उसे एक शिक्षक और प्रचारक के रूप में अपने कर्तव्यों को निभाने की प्रेरणा देता है।

पौलुस तीमुथियुस को विशेष रूप से मूर्खतापूर्ण और व्यर्थ के वाद-विवादों से बचने की चेतावनी देता है, जो सुनने वालों के लिए विनाश का कारण बन सकते हैं। इसके साथ ही, पौलुस अपने स्वयं के जीवन का उदाहरण देते हुए उसे धैर्य, प्रेम, सहनशक्ति, और सताव के समय में स्थिर रहने की शिक्षा देता है।

सुसमाचार का सारांश:

भूमिका: १:१-२
प्रशंसा और उपदेश: १:३—२:१३
सलाह और चेतावनी: २:१४—४:५
पौलुस की अपनी स्थिति: ४:६–१८
उपसंहार: ४:१९–२२
यह पत्री पौलुस के जीवन के अंतिम दिनों में लिखी गई थी, जब वह मसीह के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और धैर्य के महत्व को तीमुथियुस को समझा रहा था।


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