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मत्ती पढ़ें : यीशु का जन्म, उपदेश, चमत्कार, और विश्वास का संदेश

मत्ती पढ़ें : यीशु का जन्म, उपदेश, चमत्कार, और विश्वास का संदेश
मत्ती का सुसमाचार: परिचय

मत्ती द्वारा लिखित सुसमाचार हमें यह शुभ संदेश देता है कि यीशु मसीह वही उद्धारकर्ता हैं, जिनके आने की भविष्यवाणी पवित्र ग्रंथों में की गई थी। परमेश्वर ने पुराना नियम में हज़ारों साल पहले अपने लोगों से जो वाचा की थी, वह यीशु के द्वारा पूरी हुई। यह सुसमाचार केवल यहूदी लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि समस्त मानवजाति के लिए उद्धार का संदेश है।

मत्ती का सुसमाचार बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से लिखा गया है। इसकी शुरुआत यीशु मसीह के जन्म के विवरण से होती है, इसके बाद उनके बपतिस्मा और परीक्षा का वर्णन किया गया है। फिर गलील में उनके प्रचार, शिक्षा और चंगाई के कार्यों का विस्तृत वर्णन है। इसके बाद यीशु की यरूशलेम की यात्रा और उनके जीवन के अंतिम सप्ताह की घटनाओं को प्रस्तुत किया गया है, जो उनके क्रूस पर चढ़ाए जाने और पुनरुत्थान की पराकाष्ठा तक पहुँचती है।

इस सुसमाचार में यीशु को एक महान शिक्षक के रूप में दर्शाया गया है, जिन्हें परमेश्वर के राज्य की शिक्षा और उसकी व्यवस्था को समझाने का अधिकार प्राप्त है। उनकी शिक्षाओं को पाँच प्रमुख भागों में बाँटा जा सकता है:

१. पहाड़ी उपदेश (अध्याय ५–७): जो स्वर्ग-राज्य के नागरिकों के चरित्र, कर्तव्य, विशेषाधिकार और अंतिम आशा से सम्बन्धित है।
२.बारह शिष्यों का प्रशिक्षण (अध्याय १०): सेवाकार्य के लिए शिष्यों को तैयार करना।
३. स्वर्ग के राज्य से संबंधित दृष्टांत (अध्याय १३): परमेश्वर के राज्य के बारे में दृष्टांत।
४. शिष्यता से संबंधित शिक्षाएँ (अध्याय १८): शिष्यत्व के बारे में शिक्षा।
५. स्वर्ग-राज्य के आगमन और वर्तमान युग के अंत से संबंधित शिक्षाएँ (अध्याय २४, २५): भविष्य की घटनाओं पर केंद्रित शिक्षाएँ।

सुसमाचार का सारांश:

१.वंशावली और यीशु मसीह का जन्म (१:१-२:२३)
२.यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की सेवा (३:१-१२)
३.यीशु का बपतिस्मा और परीक्षा (३:१३-४:११)
४.गलील में सेवा (४:१२-१८:३५)
५.गलील से यरूशलेम की यात्रा (१९:१-२०:३४)
६.यरूशलेम में अंतिम सप्ताह की घटनाएँ (२१:१-२७:६६)
७.प्रभु यीशु का पुनरुत्थान और उनका प्रकट होना (२८:१-२०)

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