यहूदा की पत्री झूठे शिक्षकों के विरुद्ध चेतावनी देने के लिए लिखी गई थी, जो विश्वासी होने का दावा करते थे। इस छोटी सी पत्री की विषय-वस्तु पतरस की दूसरी पत्री के समान है। लेखक अपने पाठकों को प्रोत्साहित करता है कि “उस विश्वास के लिए पूरा यत्न करो जो पवित्र लोगों को एक ही बार सौंपा गया था।” यह पत्री उन खतरों की पहचान कराती है जो झूठे शिक्षकों के माध्यम से उत्पन्न हो सकते हैं और विश्वासियों को सतर्क रहने की प्रेरणा देती है।
सुसमाचार का सारांश:
१ भूमिका (१,२)
२. झूठे शिक्षकों का चरित्र, शिक्षा, और अंत (३–१६)
३. विश्वास में बने रहने की चेतावनी ( १७–23)
४. आशीर्वचन (२४,२५)
यह पत्री विश्वासियों को सचेत करती है कि उन्हें अपने विश्वास की रक्षा करनी है और झूठी शिक्षाओं से दूर रहना है।
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